कोविड-19 जितनी जानलेवा बीमारी है उतने ही घातक इसके साइड इफेक्ट्स हैं यानि अगर किसी व्यक्ति को कोरोना वायरस ने अपनी चपेट में ले लिया है तो ठीक होने के बावजूद ये वायरस कुछ अन्य बीमारियां दे जाता है।
ह्यूस्टन मेथोडिस्ट का शोध
ह्यूस्टन मेथोडिस्ट के शोध में पाया गया है कि COVID-19 से ठीक होने के बावजूद मरीज में कई महीनों या सालों तक 50 से ज्यादा साइड इफेक्ट्स रह सकते हैं। ये साइड इफेक्ट कम, ज्यादा या बेहद गंभीर हो सकते हैं।
कोविड-19 के सामान्य साइड-इफेक्ट्स
शोध में पाया गया है कि कोरोनावायरस से ठीक होने के बाद 58% मरीजों में थकान, 44% मरीजों में सिर दर्द और 27% मरीजों को ध्यान केंद्रित कर पाने जैसी समस्या हो सकती है। इसके साथ ही 25% मरीजों में बाल झड़ने, 24% केसों में सांस की तकलीफ, 23% मरीजों में स्वाद खराब होने, 21% मरीजों में गंध ना आने जैसी समस्या हो सकती है।
कोरोना से ठीक होने के बाद स्वास्थ्य जटिलताएं
कोरोनावायरस से ठीक हुए मरीजों में फेफड़ों की बीमारियों के लक्षण, खांसी, सीने में बेचैनी, लंबी सांस खींचने में दिक्कत, नींद ना आने की समस्या, फाइब्रोसिस और दिल की बीमारियां हो सकती हैं। इसके ठीक होने के बाद कान में सीटी बजना और रात में पसीना आने जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं। शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन में यह भी पाया कि मरीज को मतिभ्रम, डिप्रेशन, तनाव और सनक जैसी समस्या भी हो सकती है।
6 से ज्यादा देशों के 47910 मरीज़ों पर शोध
शोधकर्ताओं की टीम ने अमेरिका, यूरोप, इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया, चीन, मिस्र और मैक्सिको में 47,910 मरीजों का अध्ययन और विश्लेषण किया। उन्होंने छाती के एक्स-रे या सीटी स्कैन, रक्त के थक्के के जोखिम, सीने में सूजन की स्थिति, एनीमिया और हार्ट फेल होने के लक्षण, संक्रमण और फेफड़ों की बीमारी के संकेत सहित कई के आधार पर आंकलन किया है। उन्होंने पाया कि कोरोनावायरस से संक्रमित होने के बाद 80 प्रतिशत वयस्कों में कई हफ्तों या महीनों तक हल्के, मध्यम या गंभीर बीमारियों के लक्षण थे। कुल मिलाकर शोधकर्ताओं की टीम ने 55 लक्षणों, संकेतों और असामान्य प्रयोगशाला परिणामों की पहचान की।
शोध से COVID-19 की जटिलताओं से निबटने में मिलेगी मदद
कई देशों में कोरोना मरीजों में लगातार साइड इफेक्ट्स मिलने के बाद शोधकर्ताओं का कहना है कि उनका अध्ययन इस बात की पुष्टि करता है कि COVID-19 की जटिलताओं को पहचानना बेहद जरूरी है। इस बारे में डॉक्टर और आम लोगों को जानकारी देना बहुत जरूरी है ताकि मरीजों को इन जटिलता बीमारियों से बचाने के लिए इलाज की रणनीति बनाई जा सके।