दिल्ली में Covid का कहर जारी है, अस्पतालों में बेड नहीं है, ऑक्सीजन नहीं है। जनता इलाज के लिए दर -दर की ठोकरें खाने को मज़बूर है। सरकारी दावे केवल कागज़ों तक सीमित है।
जनता को ICU और Ventilaltor जैसे सुविधा उपलब्ध करवाना तो दूर की बात, लोग कोरोना की टेस्टिंग के लिए दर- दर भटकने को मज़बूर हैं।
हम बात कर रहे हैं विकास नगर में शिव विहार JJ कॉलोनी स्थित डिस्पेंसरी की। बदहाली और लापरवाही का आलम ये है की यहां पिछले कई दिनों से कोरोना की टेस्टिंग बंद है। रोज पब्लिक इस उम्मीद में जा कर लाइन लगाती है की शायद आज टेस्ट हो , पर उनको ये कह के लौटा दिया जाता है की स्टाफ नहीं है।
आपको बता दे की मोहन गार्डन, हस्तसाल, विकास नगर इलाको में ये ही एकलौता टेस्टिंग सेंटर है ।
इस मामले में जब दैनिक नवोदय ने बीजेपी पार्षद रणधीर कुमार से बात की तो उनका कुछ यु कहना था, “डिस्पेंसरी में covid टेस्ट करने वाला डॉक्टर खुद ही कोरोना पॉजिटिव हो गया और दूसरा स्टाफ मौजूद नहीं है जो की टेस्टिंग कर सके, फिर भी मैं इस मामले में पता करता हुँ….. बात करता हूँ”
ये पूछे जाने पर की आखिर कब तक फिर से टेस्टिंग शुरू हो पायेगी पार्षद महोदय कुछ साफ साफ नहीं कह पाए ।
हमने इस बारे में जब आम आदमी पार्टी के विकासपुरी विधायक महेंद्र यादव से बात की तो उनका भी कुछ ऐसा ही गोलमोल जवाब था।
और इस सवाल का की कब तक दोबारा टेस्टिंग शुरू हो पाएगी , उनके पास भी कोई स्पष्ट जवाब नहीं था ।
विकासपुरी क्षेत्र से पूर्व कांग्रेस विधायक मुकेश शर्मा ने कहा की मौजूदा हालातों में सरकारें पूरी तरह से विफल हो चुकी हैं और जबकि लोग परेशांन हैं तो ना कोई सरकार और ना ही उसका कोई नुमाइंदा उनकी सुनवाई के लिए मौजूद है ।
“मैं दिन रात जनता की सेवा में लगा हुआ हूँ , जैसे भी संभव हो मैं उनकी मदद कर रहा हूँ ,,,,,,सोशल मीडिया पर मेरे पास दिन रात मदद के लिए गुहार आ रही हैं, मुझसे जितना बन पद रहा है मैं कर रहा हूँ । कुछ साल पहले मैंने मोहन गार्डन इलाके में अस्पताल बनवाने के लिए प्रोजेक्ट की बात थी , लेकिन सर्कार बदलते ही सब ठन्डे बास्ते में चला गया और उसका नतीजा आज आपके सामने है। लोग दर दर भटकने को मज़बूर हैं।
आपको बता दें की पूरा मोहन गार्डन, हस्तसाल और विकास नगर इलाके की आबादी कम से कम चार से पांच लाख है, और अब ये पूरी जनता कोरोना टेस्टिंग के लिए प्राइवेट लैब या फिर राम भरोसे है।
बढ़ाते मामलों को देखते हुए अब यहां यहां की गरीब जनता के पास दो हो तरीकें हैं, – या तो महंगे दामों में प्राइवेट लैब से टेस्ट कराये और अगर ऐसा करने में असमर्थ हैं हैं तो घर में रह कर अपनी मौत का इंतज़ार करें ।